धमतरी जिले का तेलिनसत्ती गांव अपनी अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है। यहां दशहरे की धूम तो रहती है, लेकिन रावण दहन नहीं किया जाता।
क्यों नहीं जलती आग ?
गांववालों का मानना है कि गांव की सरहद के भीतर आग जलाना अशुभ होता है। इसी वजह से दशहरे पर रावण दहन और होली का दहन गांव में नहीं होता। इतना ही नहीं, यहां तक कि चिता दाह भी गांव के बाहर किया जाता है।
सदियों पुरानी मान्यता
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि सदियों पहले इस गांव में एक महिला ने अपने पति की चिता पर सती हो गई थी। तभी से यह परंपरा शुरू हुई और आज तक चली आ रही है। लोगों का विश्वास है कि अगर गांव में आग जलाई गई, तो आफत आ सकती है।
नई पीढ़ी भी मानती है दस्तूर
बदलते वक्त के बावजूद गांव के युवा भी इस परंपरा को आस्था से जोड़कर देखते हैं। उनका कहना है कि यह अंधविश्वास नहीं बल्कि गांव की पहचान है और इसे आगे बढ़ाना उनकी जिम्मेदारी है।
त्योहार की खुशियां बरकरार
भले ही दशहरे पर यहां रावण दहन नहीं होता, लेकिन त्योहार की खुशियां और उमंग गांव के हर घर में दिखती है। छोटे-बड़े, बूढ़े और युवा सभी उत्साह के साथ दशहरा मनाते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि यहां परंपरा के तहत आग नहीं जलाई जाती।
✍️ तेलिनसत्ती गांव का यह अनोखा दस्तूर ही इसकी पहचान बन चुका है, जो इसे बाकी गांवों से अलग और खास बनाता है।
मिश्रा जी के कलम से ..🖊️


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