अंतिम यात्रा में परंपरा से हटकर एक अनोखा दृश्य भी देखने को मिला 👉 शव के आगे यमराज और चित्रगुप्त का पात्र गदा लेकर चलते दिखे ⚔️। ढोलक-मंजीरे 🎶 और भजन-कीर्तन 📿 के बीच यह यात्रा निकली, जिसमें गांवभर के लोग शामिल हुए।
गांव में अब तक महिलाओं की शवयात्रा में भागीदारी नहीं रही थी, लेकिन इस बार परंपरा टूटी 👩👵👧। बच्चे, युवा, बुजुर्ग सभी ने नम आंखों से विदाई दी 💔।
👉 बिहारीलाल यादव गांव की सांस्कृतिक धरोहर थे।
🎭 नाटकों में ‘रानी तारामती’ और ‘मोरजध्वज’ जैसे महिला पात्र निभाकर सबको भावुक कर देते थे।
🎶 जसगीत, फागगीत और रामायण पर आधारित सौ से अधिक गीतों की रचनाएं उन्होंने दीं।
🙏 वे धन्वंतरी परिवार की गुरुगद्दी पर वर्षों से विराजमान रहे।
🌸 सेवा, कला और सरल स्वभाव से सबके दिलों पर राज करने वाले बिहारीलाल यादव अब चिरनिद्रा में सो गए 🕊️।


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