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उड़ीसा धान का काला खेल ! बॉर्डर फेल… धान माफिया बेलगाम ! मंडी–पुलिस की नाक के नीचे धान तस्करी—कौन दे रहा संरक्षण ? बड़ा सवाल!


नगरी-छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी 15 नवंबर से शुरू हो चुकी है और यह प्रक्रिया जनवरी तक चलेगी। किसानों के हित और व्यवस्था की पारदर्शिता सुनिश्चित करने राज्य शासन ने दूसरे राज्यों — खासकर उड़ीसा — से आने वाली अवैध धान की रोकथाम के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। बॉर्डर पर राजस्व, मंडी और सुरक्षा बलों की संयुक्त टीमों की ड्यूटी लगाई गई है।

धमतरी जिले में भी उड़ीसा बार्डर पर मंडी उप निरीक्षक प्रेमलाल पटेल, दो नगर सैनिक, एक वनपाल सहित कुल सात सदस्यीय टीम तैनात है। स्थानीय पुलिस की भी जिम्मेदारी तय है कि किसी भी हाल में दूसरे राज्यों का धान छत्तीसगढ़ की सीमाओं में प्रवेश न करे। लेकिन जमीन पर तस्वीर कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
        सबूत 1.बॉर्डर पार कर धान से भरी खड़ी ट्रक 

          सबूत 2. बोराई थाना पार करता धान से भरी ट्रक 



        सबूत 3. बोराई बस स्टैंड पार कर रही ट्रक 

नाकेबंदी के दावे फेल… उजाले में पार हो रहा उड़ीसा धान

बावजूद इसके, उड़ीसा की ओर से अवैध धान से लदी ट्रकें दिनदहाड़े सीमा पार कर रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि ट्रकें न सिर्फ बॉर्डर पार करती हैं, बल्कि बरसों से चर्चा में रहने वाले बोराई थाना में बाकायदा एंट्री भी करती हैं।

इसके बाद यह ट्रकें बिना किसी बाधा के ऊन तक पहुँच जाती हैं—जगह वही, जहाँ उड़ीसा का धान “जादुई रूप” से छत्तीसगढ़ का बताकर खपाया जाना कोई नई बात नहीं है।

प्रशासन और मंडी बोर्ड पर बड़ा सवाल

जब मंडी उप निरीक्षक और नियुक्त टीम सीमा पर मौजूद हैं…
जब थाना परिसर के सामने से ट्रकें निकल रही हैं…
तो फिर अवैध धान पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही है?

क्या ये लापरवाही है?
या फिर मिलीभगत का मामला?
या फिर सिस्टम की नाकेबंदी केवल कागज़ों में ही सीमित रह गई है?


किसानों और समर्थन मूल्य व्यवस्था पर खतरा

छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली धान पर सरकार हर वर्ष हजारों करोड़ रुपए खर्च करती है। ऐसे में उड़ीसा की अवैध धान का धड़ल्ले से प्रवेश न सिर्फ स्थानीय किसानों के हितों पर चोट है, बल्कि पूरे खरीदी सिस्टम को संदेह के घेरे में खड़ा करता है।

निष्कर्ष

अवैध धान रोकने का दावा करने वाला सिस्टम इस वक्त सवालों के कटघरे में है।
बॉर्डर पर तैनाती, पुलिस एंट्री, निगरानी—सबकुछ है,
पर उड़ीसा का धान फिर भी धमतरी की सीमा में… और आगे मंडियों तक… लगातार पहुँच रहा है।

अब सवाल है—
अवैध धान रोकने की जिम्मेदारी किसकी है, और जवाबदेही किससे तय होगी?

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